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Friday, April 10, 2020

भारत के अनसुलझे रहस्य

                                   भारत केअनसुलझे रहस्य  


 भारत में कई ऐसे स्थान जिनका आज भी रहस्य बरक़रार है भारत कई ऐसे रहस्य है जो अनसुलझे है।


                                                            असीरगढ़ किला

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असीरगढ़ किला


मध्य प्रदेश के बुरहानपुर शहर 20 किमी दूर असीरगढ़ किला है। ऐसा कहा जा रहा है की अश्‍वत्थामा पिछले 5 
हजार वर्षो से भटक रहे है जिसमे वो रोज पूजा अर्चना करते आते है। महाभारत में द्रोण पुत्र अश्वातमा एक ऐस योद्धा थे। जो अकेले ही सम्पूर्ण युद्ध लड़ने में झमता रखते थे। पांडव के सेना कौरवो की सेना से कमजोर थी। लेकिन फिर वो हर गयी महाभारत युद्ध 18 ऐसे योद्धा थे जो जीवित थे उनमे से एक अश्‍वत्थामा भी थे। अश्‍वत्थामा को सम्पूर्ण महाभारत में कोई नहीं हरा पाया था वो अपराजित और अमर थे। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार अपने पिता की मृत्यु का बदला  लेने निकले उनकी एक भूल से श्री कृष्ण ने उन्हें युगो युगो तक भटकने का श्राप दे दिया।वहा स्थानीय से जुड़े कई कहानिया जुडी है अश्‍वत्थामा को जिसने भी देखा उसकी मानसिक स्तिथि ख़राब हो गयी। अश्‍वत्थामा पूजा से पहले किले के तालाब में नहाते है। बुरहानपुर के अलावा मप्र के ही जबलपुर शहर के गौरी घाट के (नर्मदा नदी) के किनारे अश्‍वत्थामा के भटकने का उल्लेख्य है स्थानीय निवासियों के अनुसार, कभी-कभी अपने सिर के खून को रोकने के लिए हल्दी और तेल भी मांगते है जिसका प्रमाण आज तक  भी कुछ नहीं मिला है।

                                                    कैलाश पर्वत


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कैलाश पर्वत

दुनिया का सबसे रहसमयी पर्वत भी कहा जाता है। इससे अप्राकृतिक शक्तियो का केंद्र भी कहते है। यह पर्वत पिराडनुमा आकर का है। वैज्ञानिकों के अनुसार धरती का केंद्र है। यह एक ऐसा केंद्र है जिसे एक्सिस मुड़ी भी कहा जाता है एक्सिस मुड़ी का मतलब है - दुनिया की नाभि या आकाशिए ध्रुव या भौगोलीघ ध्रुव का केंद्र है । यह आकाश और पृथ्वी का संबंध बिंदु है जो दसो दिशाओ  में मिल जाता जाता है कैलाश पर्वत की संरचना चार दिक् बिंदु के सामान है और वह एकांत स्थान पर स्थित है जहा कोई पर्वत नहीं है कैलाश पर्वत पर चढ़ना निषिद है, पर 11वी सदी बौद्ध योगी मिलारेपा इसकी चढ़ायी की थी 
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मानसरोवर झील 

कैलाश पर्वत पर चार महँ नदियों से घिरा हुआ है- सिंध, ब्रह्पुत्र, सतलज और कर्णाली या घाघरा है और दो सरोवर भी है-  एक मानसरोवर झील जो दुनिया का सबसे शुद्ध पानी के झीलों में से एक है जो सूर्य के आकर का है और दूसरा राक्षस झील जो  दुनिया के खारे पानी के झीलों में से एक है ये चंद्र के आकार का है ये दोनों झीले सूर्य और चंद्र को प्रदर्शित करती है जिसका सम्बन्ध सकारात्मक और नकारात्मक से ऊर्जा है जब इससे दक्षिण से देखते है  तो यह स्वास्तिक देखा जाता है तिब्बत के मंदिरों में धर्मगुरुओं से मुलाकात की तो उन्होंने बताया कि कैलाश पर्वत के चारों ओर एक अलौकिक शक्ति का प्रवाह है जिसमें तपस्वी आज भी आध्यात्मिक गुरुओं के साथ टेलीपैथिक संपर्क करते हैं। यह पर्वत मानव निर्मित एक विशालकाय पिरामिड है, जो एक सौ छोटे पिरामिडों का केंद्र है। रामायण में भी इसके पिरामिडनुमा होने का उल्लेख मिलता है।
                          यति यानी हिम मानव को देखे जाने की चर्चाएं होती रहती हैं। इनका वास हिमालय में होता है। लोगों का कहना है कि हिमालय पर यति के साथ भूत और योगियों को देखा गया है, जो लोगों को मारकर खा जाते हैं। 

                                                                    राजगीर 

 सोन का भंडार 
 भारत के राज्य बिहार का एक छोटा सा शहर राजगीर है जो की नालंदा जिले में स्तिथ है मौर्य शासक बिम्बिसार का राज्य था यह प्राचीन मगध की राजधानी थी 


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                    भगवान बुद्ध  समारक

                      यही भगवान बुद्ध ने राजा बिम्बिसार को धर्मोपदेश दिए थे यह शहर भगवान बुद्ध के स्मारकों  के लिए विशेष रूप से जाना जाता है इसी राजगीर में सोन का भंडार गुफा है जिसमे बेसकीमती खजाना है जिसे आज तक कोई नहीं खोज पाया है यह खजाना मौर्या सम्राट बिम्बिसार का बताया गया लेकिन कुछ लोग इसे मगध सम्राट जरासंत का बताते है 

                                                                    अलेया भूत लाइट


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अलेया भूत लाइट

पश्चिमी बंगाल में एक जगह है जो अलेया भूत लाइट के नाम से जाना जाता है  यहाँ पर एक रहस्मयी रोशनी देखी जाने की जानकारी मिली थी स्थानीय लोगो के मुताबिक यह उन लोगो की आत्मा है जो मछली पकड़ते  वक़्ते मर गए थे लोग इन्हे भूतो की रौशनी भी कहते है ऐसा कहा जाता है कि जिन मछुआरों को उनकी  रौशनी दिखती है वे या तो रास्ता भटक जाते है या ज्यादा दिन जिन्दा नहीं रहते है। इन दलदली क्षेत्रों से मछुआरों कि लाशे भी मिली है यहाँ का प्रशासन मैंने को तैयार नहीं है कि यहाँ भूतो के चलते यहाँ कुछ ऐसा होता है उनके मुताबिक मछुहारो के साथ ऐसे घटना होती रहती है इसका पता अभी तक नहीं चल पाया है   

                                                        रूप कुंड झील 

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                                  रूप कुंड झील 

यह नदी हिमालय के पर्वतो में पायी गयी है इस तट पर मानव के कंकाल पाए गए है।  पिछले कई वर्षो में भारतऔर यूरोपीय के वैज्ञानिकों ने  कई प्रयास किये जो नाकाम रहे है। भारत के उत्तरी क्षेत्र में खुदाई के समय भारतीय प्रभाग को 22 फुट लम्बा मानव कंकाल मिला है।  जो उतर एम्प्टी क्षेत्र से जाना जाता है जो भारतीय सेना के अधीन है यह वह इलाका है। जहा से सरस्वती नदी बहती थी। 8सितम्बर 2007 में प्रकाशित हुई थी 
                     
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रूप कुंड झील में मानव कंकाल 

इसका अभी तक कोई बयान सामने नहीं आया है । बताया जाता है की महभारत के भीम पुत्र घटोत्कच के कढ़ काठी से मिलता जुलता है।  हालांकि इसकी चलता अमेरिका में पाए जाने वाले बिगफुट से भी की जाती है।जिसकी औसत हाइट 8 फुट है  इसकी हिमालये में पाए जाने वाले यती से भी की जाती है जो बिगफुट के सामान  ही है माना जाता है यह विशालकाय मानव 5 करोड़ वर्षे पूर्व से 1 करोड़ 20 लाख धरती पर रहा करते थे। जिनका औसत वजन 550 किलो हुआ करता था। यह कंकाल को देखकर पता चलता है कि भारत में ऐसे भी विशालकाय मानव रहा करते थे।  भारत सरकार  द्वारा यह गुप्ता रखा गया है इतने बड़े मनुस्य का प्रमाण अभी तक नहीं लग पाया है यह एक रहसये ही है।  

                                                                   जतिंगा गांव 


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जतिंगा गांव 
आसाम के कछार में  स्तिथ एक गांव है जिसमे पंछी आकर आत्महत्या करते है  जो सुर्खियों में बना हुआ है मानसून के रात जतिंगा के आसमान में झुण्ड के झुण्ड पंछी आते है और काल के गाल में समां जाते है मतलब आत्महत्या कर लेते  है चिड़ियों के इसतरह सामूहिक आत्महत्या के पीछे क्या कारण है ये आज तक पता नहीं लगा पाया गया है  इस रहस्य के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है ऐसे क्यों होता है लेकिन इसके बारे में जानना जरूरी है 

                                                           भारत की गुफाये


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          अजंता- एलोरा की गुफाएं
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बाघ की गुफाएं



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                 एलीफेंटा की गुफाएं 
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भीम बेटका की गुफाएं
भारत की गुफाये भारत में बहुत सारी प्राचीन गुफाएं हैं, जैसे बाघ की गुफाएं, अजंता- एलोरा की गुफाएं, एलीफेंटा की गुफाएं और भीम बेटका की गुफाएं। ये सभी गुफाएं किसने और कब बनाईं? इसका रहस्य अभी सुलझा नहीं है। अखंड भारत की बात करें तो अफगानिस्तान के बामियान की गुफाओं को भी इसमें शामिल किया जा सकता है। भीमबेटका में 750 गुफाएं हैं जिनमें 500 गुफाओं में शैलचित्र बने हैं। यहां की सबसे प्राचीन चित्रकारी को कुछ इतिहासकार 35 हजार वर्ष पुराना मानते हैं, तो कुछ 12,000 साल पुरानी।
                                   मध्यप्रदेश के रायसेन जिले में स्थित पुरापाषाणिक भीमबेटका की गुफाएं भोपाल से 46 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। ये विंध्य पर्वतमालाओं से घिरी हुई हैं। भीमबेटका मध्यभारत के पठार के दक्षिणी किनारे पर स्थित विंध्याचल की पहाड़ियों के निचले हिस्से पर स्थित है। पूर्व पाषाणकाल से मध्य पाषाणकाल तक यह स्थान मानव गतिविधियों का केंद्र रहा।

                                                                   तिब्बत का यमद्वार 

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 तिब्बत का यमद्वार 
प्राचीन काल में तिब्बत को त्रिविष्टप कहते थे। यह भारत अखंड का ही हिस्सा हुआ करता था। तिब्बत को चीन ने अपने कब्जे में ले रखा है।  यम का द्वार पवित्र कैलाश पर्वत के रास्ते में पड़ता है। हिंदू मान्यता अनुसार, इसे मृत्यु के देवता यमराज के घर का प्रवेश द्वार माना जाता है। यह कैलाश पर्वत की परिक्रमा यात्रा के शुरुआती प्वाइंट पर है। तिब्बती लोग इसे चोरटेन कांग नग्यी के नाम से जानते हैं, जिसका मतलब होता है दो पैर वाले स्तूप।

                                             ऐसा कहा जाता है कि यहां रात में रुकने वाला जीवित नहीं रह पाता। ऐसी कई घटनाएं हो भी चुकी हैं, लेकिन इसके पीछे के कारणों का खुलासा आज तक नहीं हो पाया है। साथ ही यह मंदिरनुमा द्वार किसने और कब बनाया, इसका कोई प्रमाण नहीं है।

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