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Sunday, April 5, 2020

भारत के रहस्मयी मंदिर

  भारत  के 7 रहस्मयी मंदिर
भारत में प्राचीन मंदिरो में कई मंदिर बहुत ही रहसमयी और चमत्कारी है, जिन्हे आज भी बहुत कम लोग ही जानते है । भारत एक आस्था का देश है। यहाँ हिन्दू धर्म में मंदिर और पूजन का बहुत ज्यादा महत्त्व है । भारत में कुछ मंदिर मनोकामना के लिए विख्यात है। ऐसे प्राचीन मंदिर की कई रहसमयी बातें है।


1. काल भैरो मंदिर 
 भारत में मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर में काल भैरव का मंदिर है। जो वहा से 8 किमी.दूर है। काल भैरो के  मंदिर में  केवल शराब चढाई जाती है।काल भैरो की मूर्ति के पास शराब ले जाने पर शराब से भरा प्याला खाली हो जाता है। काल भैरो मंदिर के बाहर देसी शराब  कई सारी दुकाने है।

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काल भैरो मंदिर
पुराणों के अनुसार, एक बार ब्रह्मा ने शिव का अपमान कर दिया था, इस बात से शिव बहुत ही ज्यादा क्रोदित  हुए थे  और तब उनके नेत्रों से काल भैरो प्रकट हुए थे। काल भैरो ने भगवन बर्ह्मा का पांचवा सर काट दिया था। जिस कारण उन्हें ब्रह्म हत्या का पाप लगा था। काल भैरव ने पाप को दूर करने के लिए कई जगह गए लेकिन उन्हें पाप से कही मुक्ति नहीं मिली। काल भैरो ने भगवान शिव की आराधना की जिससे शिव ने काल भैरो को बताया की क्षिप्रा नदी के तट पर ओखर शमशान के पास तपस्या करने से उन्हें मुक्ति मिलेगी तभी से वहा एक काल भैरो की पूजा की जाती है, कालांतर में वहा एक बड़ा मंदिर बन गया है। परमार वंश के राजा ने  इस मंदिर का निर्माण  करवाया  था ।  

2. मेहंदीपुर  बालाजी 
भारत में राजस्थान के मेहदीपुर बालाजी का मंदिर है। श्री हनुमान का बहुत ही जागृत रूप है। यहाँ के लोगो का विश्वाश है। मेंहदीपुर बालाजी  मंदिर में हनुमान दैवी शक्ति से बुरी आत्मा से छुटकारा मिलता है, ऐसा वहा के लोगो का विश्वाश  है। इस मंदिर  को संकटवाला मंदिर भी कहा जाता है। 
                
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 मेहंदीपुर  बालाजी
भूत प्रेत से पीड़ित लोग यहाँ अपनी समस्या दूर करने लिए  आते है, यहाँ आरती के तुरत बाद गर्भ गृह में जाते है और तब वहा के पंडित कुछ  उपाए करते है जिससे लोग ठीक हो जाते है।यहाँ के लोगो की मान्यता है ऐसा होता है वहा इसलिए ये मंदिर बहुत ज्यादा प्रख्यात है।  


                                                     3. स्तंभेश्वर महादेव मंदिर 
यह मंदिर भारत में  गुजरात शहर के भरुच जिला के जम्बसुर तहसील में  कावी-कम्बोई के समुन्द्र तट पर स्थित है। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर के दर्शन से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर हो जाते है। मंदिर कि ऐसे विशेषता है कि समुन्दर दिन में दो बार स्तंभेश्वर महादेव मंदिर  का अभिषेक करता है। यह मंदिर पूरा समुन्द्र के अंदर चला जाता है। 
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 स्तंभेश्वर महादेव मंदिर 
इस  मंदिर का निर्माण शिव के पुत्र कार्तिकेय ने अपने तपोबल से किये थे।  मंदिर का समुन्द्र में गायब हो जाना कोई चमत्कार नहीं है  दिन में हर रोज सुबह और शाम में  कम से कम दो बार जलस्तर इतना बढ़ जाता है कि मंदिर पूरा समुन्द्र में चला जाता है।  और फिर कुछ ही पल में समुन्द्र का जलस्तर घट जाता है तो मंदिर नजर आने लगता है  श्रद्धालु इस घटना को समुन्द्र द्वारा शिव अभिषेख समझते है।  श्रद्धालु इस मंदिर को दूर से ही देखते है। 

4.तवानी माता मदिर
 भारत में  हिमांचल प्रदेश के धर्मशाला से 25 किमी. दूर तवानी माता का मंदिर है। यह मंदिर गर्म पानी और झरनो के कुंड के लिए जाना जाता है। तवानी मंदिर के कुंड में स्नान के बाद ही मंदिर में प्रवेश कर सकते है।

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तवानी माता मदिर
माता के  कुंड का पानी गर्म कैसे हुआ यह बात आज तक रहस्य ही है। यहाँ के लोगो की ऐसे मान्यता है की यहाँ का पानी शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद है। 

5 करणी माता मंदिर
भारत में यह मंदिर राजस्थान के बीकानेर से कुछ दूरी पर देशनोक नमक स्थान पर है। यह मंदिर मूषक मंदिर के नाम से भी भी जाना जाता है। इस मंदिर के चूहों को काबा कहते है। इस मंदिर में भक्तो से ज्यादा काला चूहा है। 
करणी माता मंदिर
इनके बीच अगर  काला चूहा के जगह सफ़ेद चूहा दिख जाये तो भक्तो की सारी मुरादे पूरी हो जाती है ऐसी मान्यता है। चूहों को भक्त दूध, लड्डू आदि देते है आश्चर्य की बात तो यह है कि मंदिर के बहार जाने पर एक भी चूहा नहीं दिखाए देता है। इस मंदिर में एक भी बिल्ली दिखायी नहीं देती है। यहाँ के लोग कहते है कि जब प्लेग नामक बीमारी फैला था तो यह मंदिर ही नहीं पूरा इलाका में लोगो कुछ नहीं हुआ था। यह मंदिर राजस्थान में बहुत प्रसिद्ध है ।

6. कामाख्या मंदिर
भारत में यह मंदिर असम के गुहाटी रेलवे स्टेशन से  10  किमी दूर नीलांचल पहाड़ी पर स्तिथ है यह मंदिर कामाख्या देवी को समर्पित है कामाख्या मंदिर के 52  शक्तिपीठो में से एक है यहाँ सती का योनि भाग गिरा था इसलिए उसी जगह पर कामाख्या मंदिर बना। 
             कामाख्या मंदिर
इस मंदिर में प्रतिवर्ष अंबुबाची मेला लगता है अंबुबाची मेले में तांत्रिक और अघोरी आते है इस समाये माँ कामाख्या को रजस्वला होती है इनकी अवधि तीन दिनों कि होती है । तीन दिनों में योनिकुंड से जल प्रवाह जगह रक्त प्रवाह होता है इसलिए मेले को कामरूप कुंड भी कहा जाता है । 

7.ज्वाला देवी मंदिर
भारत के हिमांचल प्रदेश के काँगड़ा जिले के कालीघार पहाड़ी के बीच ज्वाला देवी का मंदिर है। शास्त्रों के अनुसार यहाँ सटी की जिह्वा यहाँ गिरी थी।शक्तिपीठ की आराधना करने से  माँ जल्दी  प्रसन्न  हो जाती है। 

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.ज्वाला देवी मंदिर
ज्वाला देवी के मंदिर में सदियों से बिना तेल  एवं बत्ती के प्राकृतिक रूप से नौ ज्वाला जलती है। नौ  ज्वालाओं में प्रमुख ज्वाला चाँदी के जाला के बीच में स्तिथ है उस  ज्वाला को महाकाली  ज्वाला कहते है और अन्य आठ ज्वाला के रूप में माँ अन्नपूर्णा, चंडी, हिंगलाज,  विन्ध्यवासिनी,महालक्ष्मी, सरस्वती, अम्बिका, एवं अजी देवी है । ऐसी मान्यता है मुग़ल बादशाह अकबर ने ज्वाला देवी का अपमान किया था। प्राकृतिक ज्वाला को बुझाने की बहुत कोशिश की, लेकिन वह असफल रहा। अकबर को जब माता की शक्ति का आभास हुआ तब अकबर ने छमा मांगी और उसने मंदिर पर सोने के छत्तर लगवा दिए।  



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