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Friday, April 17, 2020

रहस्मयी किताबे


रहस्मयी किताबे

भारत न जाने कितने को समेटे हुए है कुछ का पता प्राचीन किताबो और रहस्यों से चलता है इन रहस्यों का वर्णन हमारे शास्त्रों, पुराणों और ऐतिहासिक किताबों में है । जिसका ज्ञान अद्भुत है अकल्पनीय है। इन किताबों के ज्ञान को पढ़कर ऐसा लगता है कि किसने रचना की होगी  यह किताब  कितनी पुरानी है इन किताबो की रचना किसने और क्यों की होगी?

लाल किताब

लाल किताब पारम्परिक विद्या का ग्रन्थ है। यह विद्या उत्तरांचल और हिमाचल के सुदूर इलाके तक फैली हुई है। बाद में इसका प्रचलन पंजाब से लेकर अफगानिस्तान तक फैला । अंग्रेज के काल में इस विद्या की बिखेरे सूत्रों को इकट्ठा कर जालंधर निवासी पंडित रूपचंद जोशी ने सन 1939 ईस्वी को लाल किताब के फरमान नाम से एक किताब प्रकाशित की। इस किताब के कुल 383 पृष्ठ थे। प्राचीन काल में आकाश से आकाशवाणी होती थी कि ऐसा करो तो जीवन में खुशहाली होगी, बुरा करोगे तो तुम्हारे लिए सजा तैयार कर दी जाएगी। हमने तुम्हारा सब कुछ अगला पिछला हिसाब कर रखा है। कहते हैं इन आकाशवाणी को लोग याद करके रख लेते थे और पीढ़ी-दर-पीढ़ी सुनाते थे। बाद में इन रहस्यमई आकाशवाणी के द्वारा प्राप्त हुए विद्याओं को कुछ लोगों ने लिपिबद्ध कर दिया गया था। माने या ना माने लेकिन इस किताब को अगर पढ़कर आप समझ गए तो निश्चित ही आपका दिमाग पहले जैसा नहीं रहेगा।

                                                           रावण संहिता 

रावण द्वारा रचित रावण संहिता ज्योतिष और आयुवेर्द से जुडी जानकारी मिलती है। यह किताब बहुत ही प्राचीन है और आज के समय में इसे असली होने का कोई सबूत नहीं है। जिस तरह लाल किताब की नकली किताब मिलती है उसी तरह रावण संहिता की भी मिलती है। लेकिन ऐसा लोगो का कहना है की रावण संहिता की एक प्रति देवनागरी लिपि के एक गांव गुरु नालिया में सुरक्षित रखी गयी है। रावण ने जिस ग्रन्थ की रचना की शिव तांडव स्रोत और रावण संहिता प्रमुख है। लंकापति रावण ने सूर्य के सारथी अरुण से यह ज्ञान प्राप्त की थी।

विमान शास्त्र 
विमान शास्त्र एक रहस्मयी किताब है। जिसकी रचना ऋषि भारद्वाज ने की थी। विमान शास्त्र में विमान बनाने की जिस तकनीक का उल्लेख किया है उसका प्रचलन आधुनिक युग में भी हो रहा है। ऋषि भारद्वाज ने यंत्र सर्वस्य नामक बृहद ग्रंथ की रचना की थी। और इस ग्रंथ का कुछ भाग स्वामी ब्रम्हा मुनि ने विमान शास्त्र के नाम से प्रकाशित करवाया था। कहते हैं इस दिव्य ग्रंथ में उच्च और निम्न स्तर पर विचरण करने वाले विविध धातुओं के निर्माण का विवरण मिलता है।

पारद तंत्र विज्ञान

हिमाचल के निरमण जिले में 250 वर्ष पुरानी पारद विज्ञान नामक पुस्तक मिली है। जो 1052 पृष्ठ की पुस्तक है इसमें कई रहस्य छुपे हुए हैं। इसके बारे में राष्ट्र पांडुलिपि मिशन ही बता सकते हैं इस पुस्तक के ऊपर शोध किया जा रहा है। पारद विज्ञान यानी की केमिस्ट्री की प्राचीन पुस्तक जिसमें शायद आयुर्वेद तंत्र ज्योतिष की वह तमाम जानकारियां उपलब्ध होगी।

विज्ञान भैरव तंत्र

अगर खोजा जाए तो तंत्र शास्त्र पर आपको हजारों पुस्तक मिल जाएगी लेकिन सबसे ज्यादा सिद्ध और प्रभावशाली पुस्तक है विज्ञान भैरव तंत्र। यह पुस्तक किसने लिखी यह अभी तक एक रहस्य बना हुआ है।ऐसे मान्यता है की यह पुस्तक भगवान शिव और माता पार्वती के संवाद से अस्तित्व में आया था। इस पुस्तक में भैरवी तंत्र देवी पार्वती के द्वारा प्रश्न पूछे जाते हैं और भगवान शंकर उसका उत्तर देते हैं। जिनमें कई रहस्य गुप्त विद्याओं के संबंध में कहा जाता है कि जिसे पढ़कर आपको बहुत हैरानी होगी।

सामुद्रिक शास्त्र

 सामुद्रिक शास्त्र मुख मंडल तथा संपूर्ण शरीर के अध्ययन की विद्या है यह विद्या का अनुसरण वैदिक काल से ही किया जा रहा है। यह एक ऐसी रहस्यमई शास्त्र है जो मनुष्य के संपूर्ण चरित्र और भविष्य को खोलकर रख देता है। इस शास्त्र का जन्म 5000 ईसापूर्व भारत में हुआ था। जिनमें ऋषि पराशर, व्यास, भारद्वाज, भृगु, कश्यप, बृहस्पति, कात्यायन आदि महर्षि ने इस विद्या की खोज की थी। यह भी कहा जाता है कि ईसा पूर्व 423 में यूनानी विद्वान  गोरस इस शास्त्र पढ़ाया करते थे। यह शास्त्र महान सिकंदर को भी भेंट की गई थी।

अथर्ववेद

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अथर्ववेद एक बहुत ही रहस्यमई किताब है जिन में ऐसी विद्याओं का वर्णन  है जिसे सुनकर आपको यकीन तक नहीं होगा।ऐसे मान्यता है कि किसी षड्यंत्रकारी ने यदि कुछ देख कर या फिर किसी अन्य उपाय से आपका अहित किया है तो आप किसी यक्ष का स्मरण कर ध्यान अवस्था में रहते हुए यह आभास पा सकते हैं कि आप के खिलाफ कहां कौनसा कुचक्र हो रहा है। कई लोगों ने रेकी विद्या का नाम सुना है, जिसे हम लोग जापानी विद्या कहते है लेकिन संवर्ग विद्या जो उपनिषद योगेश गाड़ीवान को आती थी। यही गाड़ीवान ही रैक ऋषि थे। रैक ऋषि ने विराट से चढ़ते उर्जा को सीधे-सीधे ग्रहण करने की विद्या अपनाई थी।

                              अथर्ववेद में सम्मोहन विद्या का भी विस्तार है। सम्मोहन विद्या को ही प्राचीन विद्या में प्राण विद्या या त्रिकाल विद्या नाम से पुकारा जाता था। कुछ लोग इसे मोहिनी और वशीकरण विद्या भी कहते हैं। अंग्रेजी में ऐसे हिप्नोटिज्म कहते हैं। यह सारी विद्या हमारे अथर्ववेद में संग्रहित है। पहले इस विद्या का इस्तेमाल भारतीय साधु-संत सिद्धि और मोक्ष प्राप्ति करने के लिए किया करते थे। लेकिन जब यह विद्या गलत लोगों के हाथ में लग गई तब उन्होंने इसके माध्यम से काला जादू से लोगों को बस में करने का साधन बना दिया। हमारे भारत के शास्त्रों के अनुसरण करके दूसरे देशों ने इन्हें अपने तरीके से लिख कर इन रहस्यमई विद्याओं को अपने देश के नाम से उजागर किया।  हमारे भारत के वेद शास्त्र और पुराणों में सारी लौकिक और पारलौकिक बातें लिखी हुई है, जिनका अनुसरण करके हमारे मन के सारे द्वंद मिट जाएंगे

                                      हमारे भारत की वेद पुराण से महत्वपूर्ण बातों को आपको बताएं ताकि आपको यह महसूस हो कि हमारा भारत सभी तरह से परिपूर्ण था, परिपूर्ण है और आगे भी परिपूर्ण रहेगा।                                                         



                                                            


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